October 13, 2024

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अरहर की खेती मेढ (रिज) पर करे किसान :- डॉ. अशोक कुमार सिंह

कठौरा अमेठी। आचार्य नरेंद्र कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र कठौरा, अमेठी के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार सिंह (सस्य) ने बताया कि जो किसान इस समय खरीफ दलहनी फसलों को लगाये हुए है । उनको यह सलाह दी जाती है।

जनपद अमेठी में अरहर का 3845 हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगाया जाता है। यह समय अरहर लगाने के लिए एकदम उपयुक्त है। अरहर की बुवाई मेंढ पर करें । जिस खेतों में जल भराव होने की सम्भावना हो, तो उस खेत मे से पानी निकालने की भी वयवस्था होनी चाहिए। इस क्रिया को करने से अरहर की फसल गलती नहीं है अगर इसमे सिंचाई करनी होगी तो उसमें कम पानी लगता है साथ ही साथ फसल गिरती भी नही है। अरहर उन्नति प्रजातियां- नरेंद्र अरहर 2, राजेंद्र अरहर 1, पूसा 885, आई पी ए 203, आई पी ए 206, पूसा-9, मालवीय विकास, मालवीय चमत्कार आदि जो 230 से 255 दिन मे पक कर तैयार हो जाती है। 1 एकड़ लगाने के लिए 50 किलोग्राम डीएपी एवं 25 किलोग्राम पोटाश की आवश्यकता होती है, जिसे आखरी जुताई के समय खेत मिला दें उसके बाद मेढ़ बनाएं। अरहर के अलावा इस समय उर्द व मूंग की बुवाई करें। खेत में बीजो की बुवाई के तकरीबन 60 दिन बाद तक खरपतवार की उपस्थिति फसल के लिए अधिक हानिकारक होती है। इसलिए इसके खरपतवार नियंत्रण के लिए पहली निराई-गुड़ाई 25-30 दिन तथा दूसरी निराई-गुड़ाई 45-60 दिन के बाद कर देनी चाहिए। खरपतवार नियंत्रण के लिए निकाई गुड़ाई का तरीका सबसे उचित माना जाता है। इसके अतिरिक्त यदि आप चाहे तो रासायनिक तरीको का इस्तेमाल कर भी खरपतवार पर नियंत्रण कर सकते है। इसके लिए आपको वैसालिन की एक कि०ग्रा० सक्रिय मात्रा को 800-1000 ली0 पानी में घोलकर या लासो की 3 कि०ग्रा० की उचित मात्रा को बीजों के अंकुरण से पहले छिड़काव कर खरपतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है।

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