October 5, 2024

National crime today

No.1 News Portal of India

खेती किसानी: गाजर घास पर नियंत्रण है जरूरी,चकवड़ के पौधे से हो जाता है नष्ट- डा.अशोक सिंह

1 min read
Spread the love


गाजर घास का उन्मूलन विषय पर किसानो को किया गया जागरूक।

NCT अमेंठी-गाजर घास खेत की मेढ़ों एवं परती खेतों पर बहुत तेजी से फैलने वाला खरपतवार है जिससे न केवल फसलों बल्कि मनुष्यों के लिए नुकसानदायक है जिसका नियंत्रण बहुत जरूरी है। इस सम्बंध में किसानों को जागरूक करने हेतु आचार्य नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज, अयोध्या से संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, कठौरा द्वारा 16 से 22 अगस्त के बीच गाजर घास उन्मूलन जागरूकता सप्ताह मनाया जा रहा है।

मंगलवार को ग्राम अलीनगर में तथा बुधवार को ग्राम हिंडोलनी में किसानों को गाजर घास को खत्म करने हेतु जागरूक किया गया। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ अशोक सिंह ने बताया की गाजर घास वर्ष भर फलता फूलता रहता है तथा न केवल फसलों बल्कि आदमियों के लिए भी एक गंभीर समस्या है। इसके पौधों में विषाक्त पदार्थ पाया जाता है जिसके कारण इसके सम्पर्क में आने से मनुष्यों में एलर्जी, दमा, खुजली, एवं अन्य त्वचा रोगों उत्पन्न होता है। केंद्र के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ आर के आनंद ने बताया कि इसको पार्थिनीयम के नाम से भी जाना जाता है तथा इसकी पत्तियां गाजर की तरह होती है तथा तने पर बहुत से रोएं पाए जाते है। इसके फूलों का रंग सफेद होता है। इसके एक पौधे से लगभग 2500 पौधे विकसित हो जाते है। वर्षा ऋतू में गांजर घास को फूल आने से पहले जड़ से उखाड़ कर नष्ट करें। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ ओ पी सिंह ने किसानों को सुझाव दिया कि फरवरी मार्च माह में परती भूमि पर चकवड़ के बीज बोने से गाजर घास के फैलाव को रोका जा सकता है क्योंकि चकवड़ के पौधे इसको फैलने से रोकते है। इसको ग्लायफोसेट एवं पैराक्वाट जैसे खरपतवार नाशी के छिड़काव से भी रोका जा सकता है। इसको सभी किसानों के समन्वित प्रयास से ही खत्म किया जा सकता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *