October 3, 2024

National crime today

No.1 News Portal of India

आइये जाने “हलषष्ठी व्रत की कथा” जाने डा. शशिशेखरस्वामी जी महाराज से…

1 min read
Spread the love

हलषष्ठी व्रत की कथा:-

आजके दिन पुत्रवती स्त्रियां अपने पुत्र की लंबी आयु के लिए व्रत करती है। यह हल छठ किसानों का विशेष पर्व होता है।। यह बलराम के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। बलराम श्री कृष्ण के बड़े भाई थे, जिनका प्रिय शस्त्र हल था, उन्हें हलधर भी कहा जाता था, इसे किसानों का त्यौहार कहते है।। सभी महिलाएं अपने पुत्र की रक्षा के लिए बड़े उत्साह के साथ पूरे विधि- विधान से करती है। और इस व्रत का पालन करने वाली महिलाएं इस दिन हल से जुती हुई सामग्री अर्थात अनाज नही खा सकती ना ही गाय का दूध अथवा ना घी खा सकती है। उस दिन उन्हें केवल वृक्ष पर लगे खाद्य पदार्थ खाने की अनुमति होती है।। इस दिन बिना हल से जुते खाद्य पदार्थ खाए जाते है। पसई धान के चावल भैस के दूध का उपयोग भोजन में किया जाता है।। भोजन पूजा के बाद किया जाता है। ललही छठ पूजा का महत्व- एक ग्वालिन थी वो दूध बेचकर अपना जीवन यापन करती थी, वह गर्भवती थी, एक दिन जब वह दूध बेचने जा रही थी, उसे प्रसव के दर्द शुरू हुआ वो समीप पर एक पेड़ के नीचे बैठ गई जहाँ उसने एक पुत्र को जन्म दिया। ग्वालिन को दूध खराब होने की चिंता थी, इसलिए अपने पुत्र को पेड़ के नीचे सुलाकर वो गांव में दूध बेचने चली गई उस दिन ललही छठ व्रत था, सभी भैस का दूध चाहिए था, ग्वालिन के पास केवल गाय का दूध था, लेकिन उसने झुठ बोलकर सभी को भैंस का दूध बताकर पूरा गाय का दूध बेच दिया इससे छठ माता क्रोधित हो गई और उनके पुत्र के प्राण हर लिया जब ग्वालिन आई उसे अपनी करनी पर बहुत सन्ताप हुआ और उसने गांव में जाकर सभी के सामने अपने गुनाह को स्वीकार किया सभी से पैर पकड़कर क्षमा मांगी। उसके इस तरह से विलाप को देखकर उसे सभी ने माफ कर दिया।। जिससे छठ माता प्रसन्न हो गई। और उसका पुत्र जीवित हो गया।। तब से ही पुत्र की लंबी उम्र हेतु छठ माता का व्रत एवं पूजा की जाती है। कहा जाता है, कि जब बच्चा पैदा होता है।। तब से लेकर छः माह तक छठी माता बच्चे की देखभाल करती है। उसे हँसाती है, उसका पूरा ध्यान रखती है।। इसलिए बच्चे के जन्म के छः दिन छठी की पूजा भी की जाती है। हर छठ माता को बच्चों की रक्षा करने वाली माता भी कहाँ जाता है।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *