October 5, 2024

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गाय राष्ट्रीय पशु घोषित होनी चाहिए, गोरक्षा को मौलिक अधिकार बनाया जाए : इलाहाबाद हाईकोर्ट

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इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बुधवार 1 सितंबर को गोहत्या रोकथाम अधिनियम के आरोप में गिरफ्तार किए गए एक शख्स को जमानत देने से इनकार कर दिया. फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने गोरक्षा के मुद्दे पर अहम टिप्पणी की. लाइव लॉ के मुताबिक, हाईकोर्ट ने कहा कि गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित किया जाना चाहिए. गोरक्षा को हिंदुओं के मौलिक अधिकार के रूप में रखा जाना चाहिए, क्योंकि हम जानते हैं कि जब देश की संस्कृति और उसकी आस्था को चोट लगती है, तो देश कमजोर हो जाता है.
कोर्ट ने कहा कि गाय की रक्षा करना किसी एक धर्म का काम नहीं है. गाय हमारी संस्कृति का हिस्सा है और संस्कृति को बचाना, देश में रहने वाले हर नागरिक की जिम्मेदारी है, भले ही वो किसी भी धर्म का हो.मामले की सुनवाई कर रहे इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने कहा,
सरकार को संसद में एक बिल लाना चाहिए गाय को राष्ट्रीय पशु घोषित करना चाहिए. गायों को नुकसान पहुंचाने की बात करने वालों के खिलाफ सख्त कानून बनाना होगा. गोशाला आदि बनाकर गौरक्षा की बात करने वालों के लिए भी कानून आना चाहिए, लेकिन उनका गोरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है, उनका एक ही मकसद है गोरक्षा के नाम पर पैसा कमाना. गौरक्षा और संवर्धन किसी एक धर्म के बारे में नहीं है, बल्कि गाय भारत की संस्कृति है और संस्कृति को बचाने का काम देश में रहने वाले हर नागरिक का है. चाहे वह किसी भी धर्म या पूजा का हो.
इसके साथ ही कोर्ट ने जावेद नाम के शख्स की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. जावेद पर गोहत्या रोकथाम अधिनियम की धारा 3, 5 और 8 के तहत आरोप हैं.
न्यायाधीश शेखर कुमार ने अपनी टिप्पणी में कहा कि गाय के प्रति श्रद्धा दिखाने से ही देश समृद्ध होगा. कोर्ट का कहना है कि दुनिया में भारत ही एक ऐसा देश है जिसमें अलग-अलग धर्मों के लोग रहते हैं, अलग-अलग पूजा पद्धति हैं, लेकिन देश के बारे में सब एक जैसा सोचते हैं. कोर्ट ने कहा,
ऐसे में जब हर कोई भारत को एकजुट करने और उसकी आस्था का समर्थन करने के लिए एक कदम आगे बढ़ाता है, तो कुछ लोग, जिनकी आस्था और विश्वास देश के हित में बिल्कुल भी नहीं है, वे देश में इस तरह की बात करके देश को कमजोर करते हैं. उपरोक्त परिस्थितियों को देखते हुए आवेदक के विरुद्ध प्रथम दृष्टया अपराध सिद्ध होता है.
कोर्ट ने जावेद को ये कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया कि इससे बड़े पैमाने पर सामाजिक सद्भाव से जुड़ी समस्या हो सकती है. कोर्ट ने ये भी कहा कि ये एप्लीकेंट का पहला अपराध नहीं है. इससे पहले भी उसने गोहत्या की है जिससे सामाजिक सौहार्द बिगड़ा है. अगर इसको जमानत मिलती है तो वो दोबारा ऐसा काम करेगा जिससे सामाजिक माहौल खराब होगा.
लाइव लॉ के मुताबिक, कोर्ट ने अपने फैसले में कहीं भी गाय को मौलिक अधिकार देने की बात नहीं कही है, बल्कि गाय को मौलिक अधिकार की श्रेणी में डालने की बात कही है. साथ ही कोर्ट ने कहा कि गौरक्षा को इंसान का मौलिक अधिकार दे दिया जाए. पूरे फैसले में गौरक्षा को मौलिक अधिकार बनाने की बात कही गई है.

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