अमेठी: ट्रांसफर होने के बाद भी आखिर क्यों नहीं रिलीव किए जा रहा है पुलिसकर्मी
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उत्तर प्रदेश में योगी सरकार 02 के पदारूढ़ होने के बाद ट्रांसफर पोस्टिंग जारी हुआ। सभी ने अपनी तैनाती स्थल से कार्यमुक्त होकर नए तैनाती स्थल पर सेवा देना शुरू कर दिया लेकिन अभी भी एक ट्रांसफर हुए कर्मी को रिलीव नहीं किया जा रहा है। आखिर कौन मेहरबान है इन पर और क्यों। आखिर शासन के आदेश की अनदेखी की क्यों की जा रही है।
अमेठी| अमेठी के पुलिस अधीक्षक कार्यालय में तैनात स्टेनो बाबू यहां पिछले 7 वर्षों से तैनात हैं। 2 वर्ष पहले इनका गैर जिले में ट्रांसफर हुआ था लेकिन रिलीव नहीं किए गए। एक बार फिर इनका ट्रांसफर हुआ लेकिन फिर वही खेल, रिलीव नहीं किया जा रहा है। इसी पुलिस कार्यालय से सिपाही से लेकर दरोगा और सीओ का ट्रांसफर किया गया, सभी ने तैनाती स्थल पर अगले दिन रिपोर्ट की, गैर जनपद जाने वाले भी तुरंत रवानगी कर गए लेकिन अखिलेश बाबू को किसके दबाव में नहीं रिलीव किया जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार स्टेनो बाबू की राजनेताओं के बीच अच्छी पकड़ है और स्टेनो बाबू को रिलीव करने से कप्तान की भी कुर्सी हिल सकती है। विभाग के ही कुछ कर्मी नाम नही छपने के शर्त पर बताया कि जिले में ट्रांसफर पोस्टिंग का जो खेल चलता है वह भी स्टेनो बाबू की देन होती है। सारा कुछ कहें या बहुत कुछ मैनेज करने की माद्दा रखते है स्टेनो बाबू अखिलेश सिंह इसलिए यह डर सब पर भारी पड़ता है।
इन 7 सालों में कई कप्तान, एडिशनल और सीओ आए और चले गए लेकिन नहीं गए तो सिर्फ स्टेनो बाबू। ,इसे यूं कह लीजिए कि ये सत्ता की हनक है या फिर मलाई काटने की सनक। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब कोई आदेश सभी के लिए बराबर है तो इस मामले में भेदभाव क्यों किया जा रहा है। आखिर ट्रांसफर के बाद सबको जब रिलीव किया गया तो स्टोनो बाबू को क्यों नहीं रिलीव किया जा रहा है। जिला प्रशासन में उनकी अच्छी पैठ होने के नाते कोई मिडिया कर्मी खबर चलाने की जुर्रत नही करता , जो गलती से भी चला देता है उसे भी मैनेज करने का काम कुछ चाटुकार द्वारा किया जाता हैं अगर नही मैनेज होता हैं तो उसे जेल में डाल देने तक की धमकी भी दी जाती हैं लेकीन रिलीव नही किया जाता न ही कोई उच्चाधिकारी संज्ञान लेकर उचित कार्यवाही करने की जुर्रत करता है। ऐसे में कैसे न्याय व्यवस्था सुचारू रूप से चल पाएगी।