आइये जानते है: दिशाशूल क्या होता है ? क्यों बड़े बुजुर्ग तिथि देख कर आने जाने की रोक टोक करते हैं ? आज की युवा पीढ़ी भले हि उन्हें आउटडेटेड कहे ..लेकिन बड़े सदा बड़े ही रहते हैं … इसलिए आदर करे उनकी बातों का
1 min read..डा० शशिशेखरस्वामी जी महाराज
दिशाशूल समझने से पहले हमें दस दिशाओं के विषय में ज्ञान होना आवश्यक है हम सबने पढ़ा है कि दिशाएं ४ होती हैं |
१) पूर्व
२) पश्चिम
३) उत्तर
४) दक्षिण
परन्तु जब हम उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं तो ज्ञात होता है कि वास्तव में दिशाएँ दस होती हैं |
१) पूर्व
२) पश्चिम
३) उत्तर
४) दक्षिण
५) उत्तर – पूर्व
६) उत्तर – पश्चिम
७) दक्षिण – पूर्व
८) दक्षिण – पश्चिम
९) आकाश
१०) पाताल
हमारे सनातन धर्म के ग्रंथो में सदैव १० दिशाओं का ही वर्णन किया गया है,
जैसे हनुमान जी ने युद्ध इतनी आवाज की कि उनकी आवाज दसों दिशाओं में सुनाई
दी | हम यह भी जानते हैं कि प्रत्येक दिशा के देवता होते हैं |
दसों दिशाओं को समझने के पश्चात अब हम बात करते हैं वैदिक ज्योतिष की ज्योतिष शब्द “ज्योति” से बना है जिसका भावार्थ होता है “प्रकाश”
वैदिक ज्योतिष में अत्यंत विस्तृत रूप में मनुष्य के जीवन की हर
परिस्तिथियों से सम्बन्धित विश्लेषण किया गया है कि मनुष्य यदि इसको तनिक
भी समझले तो वह अपने जीवन में उत्पन्न होने वाली बहुत सी समस्याओं से बच
सकता है और अपना जीवन सुखी बना सकता है
*दिशाशूल क्या होता है ?*
दिशाशूल वह दिशा है जिस तरफ यात्रा नहीं करना
चाहिए। हर दिन किसी एक दिशा की ओर दिशाशूल होता है। जिस दिन जिस दिशा में दिशा शूल होता है उस दिशा की ओर यात्रा नहीं करनी चाहिए। क्योंकि दिशा शूल वाली दिशा में यात्रा करने से दुर्घटना के योग बनते हैं जो कष्टमय होता है।
🌸👉१) सोमवार और शुक्रवार को पूर्व
🌸👉२) रविवार और शुक्रवार को पश्चिम
🌸👉३) मंगलवार और बुधवार को उत्तर
🌸👉४) गुरूवार को दक्षिण
🌸👉५) सोमवार और गुरूवार को दक्षिण-पूर्व
🌸👉६) रविवार और शुक्रवार को दक्षिण-पश्चिम
🌸👉७) मंगलवार को उत्तर-पश्चिम
🌸👉८) बुधवार और शनिवार को उत्तर-पूर्व
परन्तु यदि एक ही दिन यात्रा करके उसी दिन वापिस आ जाना हो तो ऐसी दशा
में दिशाशूल का विचार नहीं किया जाता है ..
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