अमेठी: गायब हो गया शुकुल बाजार कस्बे से करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन पर बना कांजी हौज

- गायब हो गया शुकुल बाजार कस्बे से करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन पर बना कांजी हौज
- दशकों पूर्व क्षेत्र के लोग इसी कांजी हौज में पहुंचते थे आवारा पशु
- शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत कर खाली कराए जाने की की मांग
- अधिकारियों द्वारा गलत लगाई गई आख्या रिपोर्ट मौके पर कब्जा करता की बाउंड्री और लगा है नाम पते का बोर्ड
अमेठी । शुकुल बाजार थाने गेट के ठीक सामने दशकों पूर्व एक कानी हौज हुआ करती थी जिस पर क्षेत्र के विभिन्न ग्रामसभा के लोग आवारा पशुओं को बंद करने का काम करते थे। जो कांजी हौज जिला पंचायत द्वारा संचालित की जाती थी लेकिन लगभग एक दशक से कांजी हौज अचानक गायब हो गया और वहां पर निजी व्यक्ति की बाउंड्री और उसके मकान का बोर्ड लग गया। उसी ग्राम सभा के शिकायतकर्ता हरिप्रसाद ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर आईजीआरएस के तहत शिकायत कि थाने के सामने भूमि गाटा संख्या 620 सार्वजनिक भूमि स्थित हैं कब्जा कर्ता का नाम लल्लू सिंह उर्फ जगजीवन बक्स सिंह पुत्र हर्ष बहादुर सिंह बताया जाता है जहां शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि पुरानी सरकारी इमारत भवन बनी हुई थी जिस पर कब्जा कर्ता लल्लू सिंह उर्फ जगजीवन द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया है।आवेदक का ग्राम चकबंदी ग्राम में आता है जिससे ग्राम वासियों को काफी समस्या हो रही है आवेदक ने कब्जे के संबंध में शिकायत दर्ज कराई है वहीं शिकायत पर जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा आख्या रिपोर्ट लगाई गई कि महोदय आवेदक के प्रकरण में जांच की गई जांच में पाया गया कि गाटा संख्या 620 पर बनी इमारत खाली है किसी प्रकार कोई अवैध कब्जा नहीं है जांच आख्या सादर प्रेषित। उक्त संबंध में शिकायतकर्ता को फीडबैक की जानकारी के लिए जब मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से फोन आया तो शिकायतकर्ता द्वारा बताया गया कि विभागीय द्वारा दिए गए समाधान से असंतुष्ट हूं कृपया जांच करा कर समस्या का जल्द से जल्द समाधान किया जाए शिकायतकर्ता ने बताया कि जहां अधिकारियों द्वारा यह आख्या रिपोर्ट लगाई गई की इमारत खाली है वही मौके पर कब्जा कर्ता की बाउंड्री गेट और गेट पर बकायदा नाम और पते का पत्थर लगा हुआ है। बताते चलें कि शुकुल बाजार कस्बे में पांच से सात लाख रुपए फिट बिकने वाली यह जमीन करोड़ों रुपए में आंकी जा रही है। जिला पंचायत द्वारा संचालित कानी हौज की जमीन पर अगर सरकारी इमारत बनाई जाए तो क्षेत्रवासियों को लाभ होगा या फिर दुकानें बनाकर आवंटित की जाए तो लाखों रुपए का प्रतिमाह भाड़ा मिलेगा और कई गरीब परिवारों को रोजगार भी मिलेगा। शिकायतकर्ता ने उच्च अधिकारियों से मांग की है कि निष्पक्ष जांच करा कर सरकारी संपत्ति को खाली कराई जाए। शिकायतकर्ता ने बताया कि उक्त गाटा संख्या 620 रकबा 6 बिस्सा है जिसमें 2 बिस्सा आबादी चकबंदी अधिकारी द्वारा दर्ज की गई है ,जमीन पर सरकारी इमारत बनी हुई थी जिसे तोड़कर कब्जा कर्ता द्वारा अवैध कब्जा किया गया है। आबादी की जमीन भी सरकारी जमीन है ऐसे में कब्जा कर्ता से आबादी की जमीन भी खाली कराकर गरीब लोगों में या सार्वजनिक कार्य में उपयोग की जाए। क्योंकि यह जमीन भी जो 2 बिस्सा गाटा संख्या 620 से आबादी दर्ज की गई है यह भी ग्रामसभा की जमीन है किसी के नाम अंकित नहीं है। जबकि सरकारी इमारत और जमीन पर कब्जा कर्ता दबंग सरहंग है जिसके पास कई बीघे जमीन, पेट्रोल पंप ,सहित शुकुल बाजार कस्बे में कई दुकानें हैं ऐसे में आबादी की जमीन पर भी इनका कब्जा कैसे हो सकता है।