आइये जानते है नवरात्रि घट स्थापना घट स्थापना का शुभ मुहूर्त: डा० शशिशेखर स्वामी जी
1 min readनवरात्रि घट स्थापना
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल 2022 को सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर शुरू होगी जो 02 अप्रैल 11 बजकर 58 मिनट पर समाप्त होगी। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त – 2 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 31 मिनट तक। घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – 2 अप्रैल को दोपहर 12 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा।इन विधियों से करिए कलश स्थापना, जानिए मुहूर्त और तैयारियां
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के नवरात्रि 2 अप्रैल यानि शनिवार के शुरू हो रहे हैं। पहले दिन मैं शैलपुत्री की पूजा होगी। खबर में पढ़िए किस विधि से होगी कलश स्थापना और क्या होंगे शुभ मुहूर्त –
हिंदू पंचांग के अनुसार नए साल की शुरुआत चैत्र से होती है। इसकी शुरुआत नवरात्रि की पूजा पाठ और उल्लास के साथ होती है। बता दें कि हिंदू धर्म में 4 बार नवरात्रि मनाई जाती है। जिसमें दो गुप्त नवरात्रि होती है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि अधिकतर लोग मनाते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 से शुरू हो रहे और 11 अप्रैल समापन।
दुर्गा की आराधना के लिए चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 02 अप्रैल दिन शनिवार से हो रहा है। चैत्र नवरात्रि के प्रथम दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना या कलश स्थापना करते हैं। पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरुप मां शैत्रपुत्री की पूजा करते हैं। इस साल चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह के अलर और दोपहर का अलग है। मां दुर्गा की अराधना के लिए भी अलग अलग दिनों में अलग मुहूर्त है।
कलश स्थापना विधि
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले लाल कपड़ा बिछाकर उस पर थोड़े चावल रखें। मिट्टी के एक पात्र में जौ बो दें और इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। कलश में चारों ओर अशोक के पत्ते लगाएं और स्वास्तिक बनाएं। फिर इसमें साबुत सुपारी, सिक्का और अक्षत डालें। इसके बाद एक नारियल पर चुनरी लपेटकर कलावा से बांध दें। इस नारियल को कलश के ऊपर पर रखते हुए देवी दुर्गा का आहवाहन करें। दीप जलाकर कलश की पूजा करें। कलश के लिए सोना, चांदी, तांबा, पीतल के धातु के अलावा मिट्टी का घड़ा काफी शुभ माना गया है।
चैत्र नवरात्रि 2022 कलशस्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि: 01 अप्रैल, दिन में 11:53 बजे से 02 अप्रैल, दिन में 11:58 बजे तक
सुबह में कलश स्थापना का मुहूर्त: प्रात: 06:10 बजे से प्रात: 08:31 बजे तक
दोपहर में कलश स्थापना का मुहूर्त: 12 बजे से 12:50 बजे तक
चैत्र नवरात्रि का पहला दिन: 02 अप्रैल, कलश स्थापना व मां शैत्रपुत्री की पूजा
सर्वार्थ सिद्धि योग: 01 अप्रैल, सुबह 10:40 बजे से 02 अप्रैल प्रात: 06:10 बजे तक
चैत्र नवरात्रि का दूसरा दिन: 03 अप्रैल, मां ब्रह्मचारिणी पूजा
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:09 बजे से दोपहर 12:37 बजे तक
शुभ समय: 12:00 पी एम से 12:50 पी एम
चैत्र नवरात्रि का तीसरा दिन: 04 अप्रैल, मां चंद्रघंटा पूजा
प्रीति योग: सुबह 07:43 बजे से
रवि योग: दोपहर 02:29 बजे से अगले दिन सुबह 06:07 बजे तक
शुभ समय: 11:59 ए एम से 12:49 पी एम
चैत्र नवरात्रि का चौथा दिन: 05 अप्रैल, मां कुष्मांडा पूजा
प्रीति योग: सुबह 08 बजे तक, फिर आयुष्मान योग
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 06:07 बजे से शाम 04:52 बजे तक
रवि योग: सुबह 06:07 बजे से शाम 04:52 बजे तक
शुभ समय: 11:59 ए एम से 12:49 पी एम
चैत्र नवरात्रि का पांचवा दिन: 06 अप्रैल, स्कन्दमाता पूजाआयुष्मान योग: सुबह 08:38 बजे तक, फिर सौभाग्य योग
सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
रवि योग: रात 07:40 बजे से अगले दिन प्रात: 06:05 बजे तक
चैत्र नवरात्रि का छठा दिन: 07 अप्रैल, मां कात्यायनी पूजा
सौभाग्य योग: सुबह 09:32 बजे तक, फिर शोभन योग
रवि योग: सुबह 06:05 बजे से रात 10:42 बजे तक
शुभ समय: 11:58 ए एम से 12:49 पी एम
चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन: 08 अप्रैल, मां कालरात्रि पूजा
शोभन योग: सुबह 10:31 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: देर रात 01:43 बजे से अगले दिन प्रात: 06:02 बजे तक
शुभ समय: 11:58 ए एम से 12:48 पी एम
चैत्र नवरात्रि का आठवां दिन: 09 अप्रैल, दूर्गाष्टमी, महागौरी पूजा
सुकर्मा योग: दिन में 11:25 से
रवि योग: 10 अप्रैल को प्रात: 04:31 बजे से सुबह 06:01 बजे तक
शुभ समय: 11:58 ए एम से 12:48 पी एम
चैत्र नवरात्रि का नौवां दिन: 10 अप्रैल, मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी
सुकर्मा योग: दोपहर 12:04 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: पूरे दिन
रवि पुष्य योग: पूरे दिन, रवि योग: पूरे दिन
शुभ समय: 11:57 ए एम से 12:48 पी एम
चैत्र नवरात्रि का दसवां दिन:11 अप्रैल, नवरात्रि पारण एवं हवन
सर्वार्थ सिद्धि योग: प्रात: 06:00 बजे से प्रात: 06:51 बजे तक
👉घोड़े पर आएंगी मातारानी
धार्मिक मान्यता है कि हर साल नवरात्रि के दिनों में मां किसी न किसी वाहन पर सवार होकर धरती पर आती हैं. और वापस लौटते समय मां का वाहन अलग होता है. चैत्र नवरात्रि में मां घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं. इसे शुभ माना जाता है. वहीं अगर नवरात्रि की शुरुआत रविवार या सोमवार से होती है तो मां हाथी पर सवार होकर आती हैं.
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