अफगानिस्तान में फिर विस्फोट। 30 नमाजियों की मौत, 40 जख्मी।
1 min read- अफगानिस्तान में फिर विस्फोट। 30 नमाजियों की मौत, 40 जख्मी।
- मस्जिद में सुकून के साथ नमाज पढ़ना भी मुश्किल।
- भारत में सक्रिय कट्टरपंथी बताएं कि अफगानिस्तान में किसे मारा जा रहा है?
भारत की सीमा से लगे मुस्लिम राष्ट्र अफगानिस्तान में बम विस्फोटों का सिलसिला थम नहीं रहा है। 17 अगस्त को भी राजधानी काबुल की एक मस्जिद में जोरदार बम विस्फोट हुआ। विस्फोट तब किया गया, जब मस्जिद में नमाज पढ़ी जा रही थी। यही वजह रही कि नमाज पढ़ते हुए ही 30 नमाजियों की मौत हो गई। करीब 40 नमाजी जख्मी है। मृतक नमाजियों की मौत की संख्या और बढ़ सकती है। पिछले दिनों जब अफगानिस्तान पर कट्टरपंथी मुस्लिम संगठन तालिबान ने कब्जा किया था, तब भारत में सक्रिय कट्टरपंथियों ने भी तालिबानियों की प्रशंसा की थी। यह बात अलग है कि अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों को बड़ी मुश्किल से सुरक्षित निकाला गया। भारत में जो कट्टरपंथी सक्रिय हैं, उन्हें यह बताना चाहिए कि अफगानिस्तान में आखिर किसे मारा जा रहा है? अफगानिस्तान में न तो हिन्दू हैं और न ईसाई। जाहिर है विस्फोट में मरने वाले मुसलमान ही हैं। मुसलमानों को भी तब मारा जा रहा है, जब वे मस्जिद में नमाज पढ़ते हैं। यानी अफगानिस्तान में मस्जिद में नमाज पढ़ना भी मुश्किल हो रहा है। ऐसा नहीं कि अफगानिस्तान अकेला ऐसा मुस्लिम राष्ट्र है, जहां विस्फोट हो रहे हैं। पाकिस्तान, ईरान इराक, बांग्लादेश अधिकांश मुस्लिम राष्ट्रों में ऐसी वारदातें हो रही है। किसी भी मुस्लिम राष्ट्र में होने वाली हिंसक घटनाओं का भारत पर असर अवश्य पड़ता है। क्योंकि भारत में मुसलमानों की संख्या पाकिस्तान से भी ज्यादा है। आने वाले दिनों में भारत की भी क्या स्थिति हो, अभी कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन मौजूदा समय में दुनिया में भारत में रहने वाले मुसलमान ज्यादा सुरक्षित और तरक्की करने वाले हैं। भारत में किसी भी मुसलमानों से भेदभाव नहीं होता। स्वयं मुसलमान भी मानते हैं कि हिन्दू आवासीय कॉलोनियों में ज्यादा सुरक्षित हैं। आमतौर पर भारत में हिन्दुओं और मुसलमान भाई चारे के साथ रहते हैं। लेकिन कई बार कट्टरपंथी तत्व माहौल बिगाड़ देते हैं। जो मुसलमान भारत में रहकर पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाते हैं उन्हें एक बार पाकिस्तान के हालात भी देख लेने चाहिए। पाकिस्तान भी 1947 में भारत के साथ ही आजाद हुआ था। 75 वर्ष बाद पाकिस्तान भुखमरी के कगार पर खड़ा है, जबकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की एक प्रभावी पहचान है। भारत में सक्रिय कट्टरपंथियों को अफगानिस्तान में हो रही विस्फोट की घटनाओं से सबक लेना चाहिए। अमेरिका को भगाकर तालिबान ने ब अफगानिस्तान पर कब्जा किया था, तब यह उम्मीद जताई गई अब अफगानिस्तान में शांति हो जाएगी, लेकिन विस्फोट की घटनाएं बता रही है कि तालिबान में आतंकवादी संगठन अब आपस में ही जंग कर रहे हैं। आतंकी संगठनों में एकजुट होकर शक्तिशाली देश अमेरिका को तो भगा दिया, लेकिन अब स्वयं ही आपस में जंग कर रहे हैं। आतंकी संगठनों की इस जंग में अफगानिस्तान का आम मुसलमान मारा जा रहा है।